ये दिल्लीवाली…
ये दिल्लीवाली कामकाजी लड़कियाँ हैं, जो मर्दों की दुनिया का डटकर सामना करती हैं, कभी साथ पाकर तो कभी अकेले। ये उन लड़कियों-युवतियों की दुनिया है जो अपने हिस्से का काम भी करती हैं, और साथ ही पुरुषों की माने जानेवाली काम भी। ये अब टैक्सी चलाती दिखती हैं, पुरुषों के बाल काटते भी मिल जाती हैं, पेट्रोल पंप पर गाड़ियों में तेल भरती भी नज़र आती हैं, रिक्शा चलाती हैं, सिक्योरिटी गार्ड के रूप में खड़़ी हैं, एक्स्ट्रा का काम भी करती हैं, बिजनेस भी करती हैं, कॉल सेंटर में डेटा इंट्री का काम करती हैं, साथ ही पूरा टेली ऑपरेटिंग सिस्टम सँभालती हैं, दुकानों पर सेल्स गर्ल की भूमिका में हैं।यानी वो सारे काम जो कल तक पुरुषों के नाम सुरक्षित थे।
माँ तुझे सलाम
बहनापा - फ़ोन-कथा
बहनापा - बातें मंगल बाज़ार की
बहनापा - बात ख़र्चों की
बहनापा - बातें बीमारियों की
अड्डे लड़कियों के
घर के काम
सोनम को आराम नहीं
माँ की सुंदरता
काम की जगहें
आख़िर हमारी जगह है कहाँ?
पतंग का मौसम
ज़रूरतें
शहर कहती लड़कियाँ…
ये कहानियाँ दिल्ली की किशोरियों की आवाजें हैं, जो बहुमंजिला इमारतों से घिरे शहरी मजदूरों के रिहाइशी इलाकों में जीते हुए एक नई ज़ुबान और अपनी अभिव्यक्ति के नए रास्ते तलाश रही हैं।

