अपनी मेहनत, अपनी आस / काजल

ब्लॉक 5, राधा कृष्ण मंदिर, खिचड़ीपुर रोड के किनारे पर मीना दुकान लगाती है। यहाँ क़दम- क़दम पर ब्लॉक के नंबर बदल जाते हैं। मीना की दुकान के दाएँ तरफ़ क़दम रखो तो पाँच नंबर और बाएँ तरफ़ छह नंबर। दुकान के दस क़दम की दूरी पर एक बड़ा नाला बहता है जिसकी बदबू से दुकान पर सारा दिन बैठना दुभर हो जाता है। मीना का कहना है, दोपहर के वक्त, ग्राहकों को सामान बेचते हुए तो ऐसा लगता है कि मानो साँस नहीं बदबू निगल रही हूँ।

मीना यहाँ सबसे हिम्मतवाली दुकानदारों में से एक है। सर्दी हो या बारिश का मौसम, मीना हमेशा अपनी दुकान लगाती है। मीना तो गर्मी में भी टिकी रहती है। उसकी दुकान में तो पंखा तक भी नहीं है। हाथ से डोलने वाले पंखे को लेकर अपनी दुकान पर बैठती है।

सर्दी में ज़्यादा परेशानी नहीं होती क्योंकि आसपास के लोग रात के टाइम में इकट्ठा होते हैं और आग जला देते हैं। मीना का यह भी कहना है गर्मी में यह नहीं कि मैं आसानी से ही दुकानदारी कर लेती हूँ। गर्मी में मच्छर ज़्यादा होते हैं और बारिश हो जाए तब तो और ज़्यादा मच्छर हो जाते हैं। वह कहती हैं की जब मैंने ये दुकान खोली थी तो पाँच – सात हज़ार रुपये का खर्चा आया था। अब मुझे बारह-तेरह हज़ार रुपये का फ़ायदा होता है। इसमें से आधा दुकान के सामान लाने पर ख़र्च हो जाता है। 

मीना बताती हैं कि मेरा मानना यही है कि बेकार बैठने से अच्छा है कि मैं अपनी दुकान पर बैठूँ। मैंने यह दुकान तीन साल से खोली हुई है। ऐसा कम ही होता है कि मेरी दुकान बंद रहे। 

जब मैं गाँव जाती हूँ तब भी मेरी दुकान खुली रहती है क्योंकि मेरा बेटा दुकान पर बैठता है। पर जब घर में कीर्तन या हवन हो या घर में कोई बीमार हो तभी हमारी दुकान बंद रहती है। मैं अपनी दुकान पर सुबह छह बजे आ जाती हूँ और रात के बारह बजे तक रहती हूँ । खाना मेरी बहू बनाती है। मेरा बेटा मुझे दुकान में खाना दे जाता है। अरे मेरी अपनी दुकान नहीं है इसका किराया सात हज़ार रुपये देना पड़ता है। मैं यह सारा सामान कल्याणपुरी से लाती हूँ । मैंने अपने आसपास के मोहल्ले की दुकानों में देखा है कि एक डिब्बे जैसा फ्रिज आता है, मैंने भी वह फ्रिज ख़रीदा हुआ है। वह फ्रिज हमारे बहुत काम का है। इस काम में कब ग्राहक आ जाए पता नहीं।

खाना खाने बैठो तो ग्राहक आ जाते हैं। बार-बार उठो और बैठो इससे तो कमर में बहुत ज़्यादा दर्द होता है। और तो और सामान भी लाने ले जाने में पैरों में दर्द होता है । मीना अपनी मेहनत के बल पर कई तरह की मुश्किलों के बीच भी टिकी हुई है और यह मेहनत ही उसकी उम्मीद है।


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मुश्किलों का डटकर सामना /दीपांशी