माँ तुझे सलाम

अम्मी बिना किसी के उठाए चार बजे उठ जाती हैं और बिस्तर के बराबर में

रखी बीड़ी के बंडल जलाकर एक-दो बार पीकर फेंक देती है। फिर पानी की टंकी

खोलकर देखती है। उसके बाद टाइम घड़ी से देखती है। छह बजे पानी आने के बाद

टंकी में पाइप लगा देती है। पानी आने पर पाइप से बर्तनों में पानी भर देती है।

उसके बाद अम्मी सभी को उठाती हैं। एक कप चाय पीकर फिर थोड़ा आराम

करती हैं और नज़र रखती हैं कि सभी काम टाइम पर हो जाएँ।

हमारे घर में प्याज़ की रेहड़ी लगती है। ठेली लगने से पहले अम्मी प्याज़ के

बोरे ख़ाली करती हैं, जिसमें मैं उनकी मदद करती हूँ। प्याज छाँटते समय

अम्मी को बहुत पसीना आता है। उनका माथा और गला दोनों पसीने से भर

जाता है, क्योंकि इस कमरे में प्याज की गंध भरी रहती है। पंखा है भी तो वो

ऊपर का है। अम्मी के हाथ काले हो जाते हैं। कुछ प्याज से काला-काला-सा

भी लगता है। उनके हाथ में एक चाकू है जिससे वो प्याज के छिलके उतारती हैं।

ये चाकू भी पुराना हो गया है और घिस भी गया है। अम्मी कहती है कि इसी पर

मेरा हाथ चलता है।

एक बजे से लेकर चार बजे तक अम्मी प्याज छाँटती रहती हैं। उनकी कमर

अकड़ जाती है। वो बहुत देर तक दीवार पर कमर सटाकर रखती हैं। उसके बाद वो

नहा-धोकर बालों में कंघी कर पीछे गली वाली बाजी के घर चली जाती हैं। वहाँ

बैठकर अपनी अच्छी-बुरी बातें करती हैं।

इस तरह अम्मी का एक दिन, दिन गुज़रने से पहले ही इतना थक जाता है कि

उसका रात तक पहुँचना हमें अचरज लगता है; लेकिन अम्मी को नहीं। इस तरह

अम्मी एक पूरे दिन को थका देती हैं।

सोनी मंसुरी

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