अपनी धुन में /साबिया
मेरी गली में एक लड़की है, वह हमेशा चर्चे में बनी रहती है। उसका नाम माही है। हमारी गली की सभी लड़कियाँ सूट सलवार पहनती हैं, वहीं माही जींस-टॉप पहनती है। इस वजह से गली वाले उसे बिगड़ी हुई लड़की समझते हैं। वे अभी दसवीं क्लास में पढ़ती है और दिखने में बारहवीं क्लास की लड़की जैसी लगती है। उसका रंग सांवला है, आँखें गहरी हैं। वो जब भी काली बिंदी लगाती है तो और भी सुंदर लगने लगती है। उसे काली बिंदी लगाने का शौक भी है। वह जब भी काली बिंदी लगाती तो उसके घर से लेकर गली के लोग टोकते, लेकिन वो कहाँ किसी की सुनती हो!
माही उठती तो पहले है, पर जब तक सात न बज जाए, स्कूल के लिए निकलती नहीं। रास्ते में अगर दोस्त मिल जाएँ तो बैग उसे पकड़ा आराम से चलती है। वो अपनी सहेलियों की चहेती है। उसकी कुल आठ सहेलियाँ हैं। वे सभी उसके शुरुआती कक्षा से ही दोस्त हैं। वह स्कूल जाते टाइम खूब मस्ती करती हुई जाती है। कभी किसी की चोटी खींच देती तो कभी अपनी सहेली के नए हेयर स्टाइल को बिगाड़ देती हैं। कभी कोई रूठ जाती तो कभी कोई मान जाती हैं। ऐसे करते-करते सभी सहेलियाँ स्कूल पहुँचने में लेट हो जाती हैं। लेट की सज़ा में लाइन में खड़ी हो जाती हैं। थोड़ी देर खड़ी रहने के बाद स्कूल के मैदान से छोटे-छोटे पत्थर उठातीं और क्लास में भाग जाती, और क्लास में बैठ लंच का इंतज़ार करती।
फिर हमारे स्कूल के गार्डन में दो लोहे के गोल डंडे लगे हुए हैं। उस पर एक खड़ा होता तो दूसरा उस डंडे को पकड़े रहता। माही उसके कंधे पर हाथ रखकर झूलती। कभी टॉयलेट के बहाने पीरियड गोल करती और छुट्टी के टाइम पानी की बोतल भर कर अपनी दोस्तों के ऊपपर डाल उन्हें गीला कर डालती और कोई फालतू बोलता तो उसे अंट-संट जवाब दे चुप करा देती। एक दिन माही और उसकी सभी सहेलियाँ ग्राउंड में खड़ी बातें कर रही थी तभी एनसीसी के कुछ लड़कों ने उनको गंदे इशारे किए, माही और उसकी फ़्रेंड्स को गुस्सा आया और उन्हे गालियाँ दीं और एक लड़के को चाँटा मार फिर प्रिंसिपल के पास चली गई तो मैम ने उन लड़कों को खूब डाँटा। लेकिन वहीं माही के ग्रुप को भी डाँटा, तुम्हें लड़कों के टाइम पर ही सब काम करने होते हैं। माही ने बोला कि मैम आप देख लो मेरे हाथ में बुक है, हमें सर्दी लगी तो हम क्लास के बाहर खड़े हो गए, लेकिन किसी के सामने नहीं गए । इन्होंने हमें देखकर गंदे इशारे किए। फिर क्या था प्रिंसिपल मैम ने भी कुछ ज़्यादा बोला नहीं।
ऐसी ही है माही!
माही के ग्रुप में उसकी एक सहेली सुहाना का जन्मदिन आने वाला था पर उसके पापा को पसंद नहीं था कि वो दोस्तों को घर बुलाए। सुहाना नत्थू चौक में रहती है। इतवार को सुहाना का जन्मदिन था। वो अपना जन्मदिन मना नहीं पाई इसलिए सोमवार को पैसे लेकर स्कूल आई और अपने दोस्तों से कहने लगी कि हम आज छुट्टी में अपना जन्मदिन मनाएँगे। हर बार मैं तानिया के घर जन्मदिन मनाती थी। माही ने कहा, “तू मेरे घर मना ले।”
ग्रुप में प्लॉन किया गया कि माही के साथ एक लड़की उसके घर जाएगी और सफ़ाई करवाएगी। दो लड़कियाँ जे ब्लॉक जाएगी चिल्ली-पोटेटो लेने और दो साही डेयरी से चाऊमीन लेने जाएगी। ऑर्डर दो लड़कियाँ देकर आ जाएँगी। छुट्टी होने में सिर्फ़ पंद्रह मिनट बाक़ी थे। बातों ही बातों में छुट्टी हो गई समय का पता ही नहीं चला। माही घर आई। उसके घर में कोई नहीं था। उसकी अम्मी ड्यूटी के लिए नौ बजे निकल जाती हैं। उसकी बहन 11 बजे सेंटर जाती है। उसके पापा जामा मस्जिद में काम करते हैं और उसका भाई शोरूम में काम करने चला जाता है। उसकी छोटी बहनें 1 से 3 बजे तक ट्यूशन रहती हैं।
माही के घर में ताला लग रहा था। उसने मशाले पीसनेवाली मशीन के जग से चाबी निकाली और ताला खोला। अपना और अपनी दोस्त का बैग रख कर मुँह-हाथ धोया। माही के घर में टाइलें लगी हैं और व्हाइट पुट्टी भी हो रखी है। उसका घर हॉल जैसा है। किचन बाहर की ओर है। माही ने अपनी ड्रेस कुर्सी पर रखी। इतने में दो लड़कियाँ आईं और कहने लगी कि हम केक का ऑर्डर दे आए हैं। अब मुझे पानी दे दे। माही ने पानी दे दिया, और उनका बैग टाँगा। उन दोनों ने अपना मुँह-हाथ धोया।
अभी सभी स्कूल ड्रेस में ही थी तभी कोई माही के घर की बेल बजाने लगा। माही ने खिड़की से झाँका। उसकी एक दोस्त नीचे खड़ी थी। उसने कहा, “सुहाना से कह दे कि पेप्सी के पैसे दे दे।” एक लड़की ऊपर आई है और बोली, “चिल्लीपोटेटो और चाउमीन भी तो मैं ले आई। तू मुझे फटाफट पानी दे दे, जोरों से प्यास लगी है। थक गई मैं तो!” सुहाना खिड़की से सौ रुपये फेंकती है, उसे उसकी दोस्त पकड़ लेती है। वो थम्स-अप लेती आई और पलंग पर बैग रख कर माही से पानी माँगने लगी। पानी पीकर वह बोली, “सानिया और तानिया अभी तक नहीं आए?” सुहाना बोली, “ज़रूर घूम रही होंगी।” तभी बेल बजाते हुए सानिया और तानिया ऊपर चले आए। उन्होंने चाऊमीन और चिल्ली-पोटेटो, मोमोस को प्लेट में रखा। माही ने एलसीडी को फूल वॉल्यूम पर कर दिया, गाने बजने लगे। उसकी घर की पटिया पर बैठी गली की कुछ औरतें कहने लगी कि ये लड़कियाँ कितनी बेशर्म हैं। इतनी तेज़ गाने बजा रही हैं।
तभी सुहाना ने कहा, “अब तो केक बन गया होगा। चल आइशा साथ चल!” वे दोनों साथ चल दी। नीचे पटिया पर बैठी आंटियाँ उन्हें घूर कर देखने लगीं। क्योंकि वे सभी स्कूल की ड्रेस में थी और घर नहीं पहुँची थी। उन दोनों ने सभी को नज़रअंदाज़ किया और चलने लगी। जल्दी से केक की दुकान पर पहुँची और कहने लगी, “जो दो लड़कियाँ केक का ऑर्डर देने आई थी सुहाना के नाम का, वो दे दो।” वो बोले, “ठीक है बस नाम लिख दूँ।” उन्होंने चॉकलेट ली और उस पर नाम लिख दिया और डब्बा बंद करके उन्हें पकड़ा दिया।
फिर उन्होंने केक काटा और सभी डांस करने लगीं। गानों की आवाज़ इतनी तेज़ थी कि आंटियाँ नीचे से चिल्ला-चिल्ला कर उन्हें डाँटने लगी, पर वे तो गाने के बोल गाने लगीं - बलम मेरा गोरा चिट्टा। आज की पार्टी मेरी तरफ़ से... जैसे गानों पर ख़ूब तेज़ आवाज़ में गा-गाकर मज़े कर रही थीं लेकिन सानिया का ध्यान बार-बार घड़ी पर था क्योंकि वो कुरानख़ानी के बहाने आई थी और दुपट्टा साथ लेती आई थी। सभी समोसा हाथ में लेकर और कोल्ड-ड्रिंक के गिलास को सिर पर रख कर डांस कर रही थीं। डांस के बहाने एक-दूसरे को छेड़ रहे थे। कोई बाल खींच रहा था। सबसे ज़्यादा माही रमशा और सिमरन को मार रहे थे। ऐसे ही सुहाना का जन्मदिन मन गया। फिर उन्होंने सारी प्लेटें बाहर रखी और झाड़ू लगाई। जहाँ-जहाँ केक लगा हुआ था वहाँ पोंछा और मुँह-हाथ धोकर कपड़े साफ़ किए अपने-अपने बैग ले घर जाने लगीं।
नीचे बैठी आंटी ने कहा, “तुमलोग इतनी तेज़-तेज़ आवाज़ में गाने सुन रही थीं।” सानिया को गुस्सा आ गया उसने कहा कि अपने बच्चों को ज्ञान दो, हमें मत दो। बड़ी आईं हमें ज्ञान देने वालीं। वो आंटी चुप हो कर रह गईं। कोई ही लड़की होती है जो अपनी ज़िंदगी में मज़े लेती और दूसरों को जवाब देकर आगे बढ़ती है। माही उन्हीं में एक थी।
सुहाना और उसकी दोस्तों ने बताया कि सुहाना का जन्मदिन कैसे मनाया गया। उनकी बातें सुनकर और बच्चे कहने लगे कि हमें भी ऐसे ही जन्मदिन मनाना है। उनकी मैम हमेशा माही के ग्रुप को ग़लत समझती हैं। माही के ग्रुप ने प्लान किया कि कल घूमने चलें। कुछ मना कर रही थी क्योंकि उनकी अम्मी नहीं भेजेगी। माही ने कहा, सानिया, सुहाना, शिफ़ा, तानिया, कुरानख़ानी के बहाने आ जाना, मैं बुलाने आऊँगी। आयशा, सिमरन और मंतशा जन्मदिन के बहाने आ जाना, कह देना मेरा जन्मदिन है, ठीक है।
अगले दिन पहले उसकी दो सहेलियाँ उसके घर आईं। माही ने खिड़की से नीचे झाँक कर देखा, मंतशा और सिमरन थे और उन्हीं के पीछे आयशा भी थी। माही ने कहा कि अच्छा तू चल ऊपर, शिफ़ा को मैं बुलाने जा रही हूँ। तानिया और सुहाना तुम दोनों दुपट्टा ओढ़ो और साथ चलो।
माही की अम्मी कुछ ही दिन पहले घर में एलसीडी टीवी लाई। सभी खुश थे लेकिन माही सबसे ज़्यादा खुश थी । माही स्कूल से आई और घर का काम करने लगी। उसने टीवी में पंजाबी गाने चलाए और काम करने लगी। उसने एक गाने में देखा कि हीरोइन के होंठ के नीचे तिल है, जो माही को बहुत अच्छा लगा। वो कई दिनों तक तो काजल से ही अपने होंठों के नीचे काला तिल बनाकर घूमती थी। वो तिल उसपर सूट कर रहा था। लेकिन वो बार-बार मिट जाता था । फिर वो अपनी एक सहेली के साथ शनिबाजार गई। आजकल हमारे शनिबाजार में सेल लगते हैं। सभी लोग कपड़े खरीदते हैं। माही के चेहरे को देख सहेली ने कहा, “अरे आज तेरा तिल कहाँ ग़ायब हो गया?”
माही ने बोला, “यार मुझे तिल बड़ा अच्छा लगता है। क्या करूँ?”
वे दोनों साथ में शनिबाजार की गॉसिया मस्जिद के पास से गुज़र रहे थे। वहाँ कोने में टेटू गोदने वाला बैठा था, वहाँ मेरी नज़र पड़ी। वहाँ एक लड़की अपने हाथ पर टेटू गोदवा रही थी। तभी माही के दिमाग़ में एक बात आई, क्यों ने मैं अपने होंठ के नीचे ऐसा ही तिल बनवा लूँ। उसने फिर टेटूवाले से पूछा, “अरे भईया क्या आप तिल बना सकते हो?” उसने बड़ी हैरानी से देखा?
माही ने बोला, “अरे मुझे होंठ के नीचे एक तिल गुदवाना है, बना दोगे या नहीं?”
उसने कहा, “क्यों नहीं?”
माही ने उससे पैसे का मोलभाव किया और अपने होंठ पर तिल गुदवा लिया। लेकिन उसको मिर्ची-मिर्ची सा लग रहा था। उसने जब तिल देखा तो उसका साइज़ बिल्कुल राई के दाने जैसा था। जो उस पर सूट कर रहा था, साथ ही किसी को देखने से पता भी नहीं चल रहा था कि ये नक़ली तिल है। माही ने कई बार आड़े-टेढ़े मुँह बना-बनाकर शीशा देखा। उसकी सहेली ने बोला, “यार तेरे अम्मी अब्बू गुस्सा तो नहीं होंगे न?”
माही ने बोला, “अबे नहीं।”
माही जब घर पहुँची तो उसके घरवालों ने उसे खूब डाँटा, तिल के लिए नहीं लेट आने के लिए। माही का तिल किसी को दिखाई नहीं दे रहा था आज भी सभी को यही लगता है कि तिल अपने आप उग आया है। माही के घर में इतनी रोकटोक होने के बावजूद भी वो मन की ही करती है।
एक बार माही के घर में उसका बड़ा भाई काम से जल्दी लौट आया था और माही का ट्यूशन का टाइम हो रहा। वो ट्यूशन के लिए जाने लगी तो उसका भाई उस पर गुस्सा हो गया । उसने कहा दुपट्टा डालकर जा। माही ने ढीली शॉर्ट कुर्ती पहनी हुई थी आज उसने दुपट्टा नहीं ओढ़ा था। बस उसी के लिए माही को लगातार डाँट पड़ रही थी। माही ने भी चिल्लाकर बोला, “मैं नहीं डाल रही दुपट्टा।”
उसके भाई ने बोला, “तो फिर ट्यूशन नहीं जाएगी।”
माही ने बोला, “क्यूँ क्या खराबी है मेरा टॉप ढीला भी है और मुझे नहीं लगता कि दुपट्टा ओढ़ना चाहिए।” पर उसका भाई उसके पीछे पड़ गया फिर उसने दुपट्टा ओढ़ लिया। क्योंकि माही को अपनी क्लास लेना ज़्यादा जरूरी लगा । वो बड़बड़ा कर ज़ीने से नीचे उतर गई। उसको ऐसा करते देख उसका भाई बहुत खुश हुआ। भाई अभी सोच ही रहा था कि उसने उसको मजबूर कर दिया। उसकी नज़र खिड़की से जैसे ही बाहर गई तो देखा माही ने दुपट्टा गले से हटाकर अपने बैग में रख लिया। उसका भाई उसकी इस हरकत को देखता ही रह गया।

