घर के काम

सुबह हमारे पड़ोस के बर्तनों को रखने की आवाज़ आई खट-खट। मसाले काटने

की आवाज़ कट-कट। अम्मी बर्तनों और मसाले काटने की आवाज़ उठ गईं।

उन्होंने सामने दीवार पर लगी घड़ी में समय देखा, छह बज चुके थे। कमरे की

खिड़की खोलकर टंकी में पाइप लगाया। पाइप लगाकर अम्मी बर्तनों में पानी

भरने लगीं। पानी भरने में बीस मिनट लगते हैं। जब छोटे-छोटे बर्तन भर जाते

हैं तो अम्मी बड़े ड्रम में पाइप डालकर दुकान पर नाश्ते का सामान लेने चली

जाती हैं। अम्मी का नाम फरजाना है। उनकी उम्र 32 साल है। जब वो सो रही

होती हैं| तो उनके बाल उनके चेहरे पर आ जाते हैं। अम्मी की जबसे शादी हुई

तभी से वो अब्बू के साथ काम पर जाया करती हैं।

जब अम्मी दुकान पर नाश्ते का सामान लेने जाती हैं तो बड़ी बहन को उठाती

हैं और कहती हैं कि चाय बनाने के लिए रख दे। बहन आँख मसलते हुए उठती

है और चाय बनाने के लिए बर्तन लेकर उसमें पानी डालकर, चीनी-पत्ती, नमक

डालकर गैस पर रख देती है। अम्मी को दुकान से नाश्ता लाने में बीस मिनट

लग जाते हैं। नाश्ते का सामान बहन को देकर अम्मी उससे कहती हैं कि चाय

में दूध डाल दे और खाना पकने के लिए रख दे, तब तक मैं नहाकर आती हूँ।

फिर तू मेरा लंच पैक कर दियो। बहन चाय में दूध डालकर खाना पकाने लगती

है। खाना पकाकर अम्मी का लंच पैक कर देती है। अम्मी नहाकर आती हैं चाय

पीकर काम पर जाने के लिए तैयार हो जाती हैं। इन सबको उठाकर चाय पिला

दियो, ये कहकर अम्मी काम पर चली जाती हैं।

अम्मी के काम पर जाने के बाद मेरी बहन हम सबको हिला-डुला कर उठाती है

और कहती है, चाय पी लो, दोबारा गर्म नहीं करूँगी। चाय पिलाकर बिस्तर की

तह बनाकर एक कोने में रख देती है। चाय के गंदे बर्तनों को एक साथ रखकर

उसमें पानी डाल देती है। थोड़ी देर बाद उन बर्तनों को धोती है। बर्तन धोकर

उन्हें बर्तनों की जगह में लगा देती है। फर्श पर पानी डालकर उसे अच्छी तरह

से धोती है। फिर एक टब लाकर उसमें पानी और सर्फ़ डालकर उसे अच्छे से

घोल कर उसमें गंदे कपड़े भिगो देती है। फिर एक-दो घंटे बाद उन्हें धोकर छत

पर डालने जाती है।

जब वो कपड़े धोती है तो उसके हाथ लाल और गोरे हो जाते हैं। पंद्रह मिनट

बाद छत से वापस आकर गैस पर चावल पकने के लिए रख देती है और

नहाने चली जाती है। बीस मिनट में नहाकर आकर गैस पर रखे चावल चलाती

है। फिर हम सब लोगों चावल प्लेट पर डालकर खाने के लिए देती है। हम सब

एक साथ बैठ कर खाना खाते हैं। जो बर्तन गंदे होते हैं उनको मेरी बहन धोकर

दोपहर में सो जाती है। दो घंटे बाद सोकर उठती है और पाँच बजे शाम का खाना

पकाने रख देती है। शाम के लिए सब्ज़ी लेने बाज़ार जाती है। सब्ज़ियाँ लेकर आधे

घंटे में वापस घर आती है।

शाम का खाना पकाकर सबको खिलाकर फ़र्श पर झाडू लगाकर बिस्तर कर देती

है। फिर छत से कपड़े उठाकर ले आती है। फिर हम कमरे का दरवाज़ा लगाकर

सो जाते हैं।

-मंतशा

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