सोनम को आराम नहीं
मेरी बहन की आँख अम्मी की आवाज़ से खुलती है। वो मुँह-हाथ धोती है और अंगड़ाई लेती
है। उसकी उम्र 20 साल है। अम्मी ने एक दिन बताया था कि जब मेरी बहन सोनम होने
वाली थी तभी से हमारा घर बना। पहले हमारी झोपड़ी थी। बारिश के दिनों में झुग्गी में
पानी भर जाता था और सभी एक साथ सो बैठ भी नहीं पाते थे। अब सभी अपने-अपने
कमरे में रहते हैं। नीचे वाले में हम रहते हैं। दूसरी मंज़िल पे मामू-मामी। सबसे ऊपर
मंज़िल पर हमारे सारे घरवालों का खाना बनता है।
सोनम उठकर बेमन से रसोई घर में गई। इस कमरे में अभी कोई नहीं रहता है।
यहाँ अभी प्लास्टर नहीं हुआ है । गैस चूल्हा नीचे फर्श पर ही रखा है। सोनम
नींद में होने के बाद भी ये कभी नहीं भूलती कि सुबह सभी पहले बनाना शेक पीते
हैं। बनाना शेक ये सभी सामान स्लीप पर अम्मी ने पहले से ही मिर्च मसालों की डिबिया
के साथ रखा हुआ है। इस कमरे में आधा हिस्सा खाली ही रहता है। बस प्याज ,
लहसुन, आलू की टोकरी गैस के पास ही रखी है। फ्रिज सभी के कमरे में रखा है।
सोनम को सुबह-सुबह शेक बनाना झंझट लगता है। लेकिन क्या करें हमारे घर में
सभी पतले हैं और सभी की सेहत अच्छी रहे इसलिए ही शेक बनाते हैं। ये मिक्सी अम्मी
काफी टाइम पहले फिर उसके बाद सभी के लिए चाय बनाती है। उसमें भी सामग्री डालती
है–पानी, चायपत्ती, दूध, चीनी फिर उसके बाद पापे-फैन लेने चले जाती है। फिर सबको वो
चाय देती है। उसके बाद झाड़ू लगाती हैं, पोंछा लगाती हैं और बर्तन धोकर दोपहर के
खाने की तैयारी करती हैं। रात की अगर सब्ज़ी बच जाती है। वो उसके साथ चावल पका
लेती हैं।
काम करते-करते उसके कपड़े पसीने से तर हो जाते हैं। हमारा गैस-चूल्हा नीचे फर्श
पर है तो जब चावल पकाती है तो वहीं घुटनों के बल पर बैठ जाती हैं ताकि पैरों को
थोड़ा आराम मिल सके। अम्मी की तबियत अब ठीक नहीं रहती तो उसी के ऊपर सारा
काम है। अम्मी रोज बाजार से उसे सब्जी लाकर दे देती है। बाहर का सामान लाने का काम
अम्मी और मै ही करती हूँ। हमारे कमरे के बाहर वाले बरामदे में ही गुसलखाना है, जो
बड़ा फिसलन वाला है। अगर पानी सुखाया न जाए तो पटकी लग जाए।
एक बार अम्मी फिसलते-फिसलते बची थीं और सारा गुस्से बाजी पर उतर गया। मुझे
तरस तो आया था क्योंकि ये काम मैंने ही किया था। बाजी वही बैठकर कपड़े धोती है
तो जब कपड़ों को निचोड़ती है तो उसका हाथ ड्राइ हो जाता है। कपड़ा अच्छे से निचुड़
जाता है। इतने बाल्टी भर-भर के कपड़े होते कि मैं क्या बताऊँ।
जब मेरी बाजी कपड़े धोती है तो उसके कपड़े भी गीले हो जाते है। इससे उसके शरीर में
साबुन काटने लगता है। जब वो नहाती है तो एक घंटा लगाती है। घर में सभी को पता है
कि जब वो नहाने जाएगी तो एक घंटे से पहले नंबर नहीं लगेगा। उसके नहाने के बाद वो
फिर अच्छे से कपड़े पहनती है। खुले बालों को कंघा करते हुए फोन में गाने चलाती है।
हमारे कमरे में एक छोटा शीशा है जिसके ठीक नीचे मेकअप का सामान रखा है जो बाजी
शादी में लगाकर जाती है। वो एक क्रीम और काजल जरूर लगती है। उसके पास तरह तरह
की क्लैचर रखी हैं। चिमटी हैं। अगर एक भी को गई तो शामत आ जाती है।
सोनम बाजी का चेहरा शांत-सा लगता है, लेकिन उसमें कई चीजें दबी हैं। वो हमेशा से
ही काम करना चाहती हैं। घर बार के कामों में उनका दिल नहीं लगता है। वो हमारे
घर की सबसे समझदार और अच्छी लड़की हैं। जब वो काम निबटा लेती हैं तो अपने
जॉब के लिए मोबाइल पर काम देखती है। अपनी सहेलियों से बात करती है। अभी ही
वो निष्काम सेवा में सिविल डिफेंस में लगी हैं। अब वो कपड़े हफ़्ते में एक दिन धोती हैं,
छुट्टी वाले दिन संडे को।
अब सोनम घर के काम के साथ-साथ बाहर का भी काम करती है। इसी दिन वो
अपनी सहेलियों से मिलती है और अपना कोई भी जरूरी काम करती है। जब वो
ड्यूटी के लिए 9 बजे निकलती है तो क्या फुर्ती में जाती है, लेकिन शाम को 9 से
10 बजे तक घर आते-आते उसकी हालत एकदम डाउन हो जाती है। कई घंटे तक
फ्रेश होकर वो बस बिस्तर पर लेटी रहती है। अम्मी रोटी सेंक देती है, लेकिन सब्जी
तो सोनम बाजी के हाथों की ही अच्छी लगती है। कभी-कभी मैं भी उनके साथ सब्जी
बनाने में मदद करती हूँ, क्योंकि कभी अगर वो न बनाए तो मै ही बना लूँ। वैसे ये सब
मैं बेमन करती हूँ। बाजी कभी-कभी मजाक में कह देती हैं, तू क्या कामवाली लगाएगी।
सोनम बाजी जिस समय भिंडी बनाती है तो पूरी गली में पता चल जाता है, क्योंकि जब
वह भिंडी छौंकती है तो उसे छींक आ जाती है। उसे ही नहीं गली में आस-पास के घरों से।
भिंडी छौंकते ही बहुत अच्छी ख़ुशबू आती है। फिर वो सबको खाना परोसती है। हम रोटी
के साथ भिंडी खाते हैं। खाना बनाते समय उसे हल्का-हल्का पसीना आता है। वो बार-बार
प्लेट से ही हवा कर लेती है। घर में उमस हो जाती है। फिर कमरे में सफ़ेद नीले रंग का
कूलर चलाते है। कुछ देर बाद कमरे में ठंडक-सी हो जाती है। हमारे आधे कमरे की
दीवार पर टाइल लगी हुई हैं। आधे पर डबल गुलाबी पेंट करवाया है और अलमारियों
में भी टाइल लगी हैं। इन अलमारियों में कांच की क्रॉकरी रखी है। जब ईद आती है
तभी इनमें हम खाना खाते हैं या फिर जब कोई खास मेहमान आते हैं तब। पहले सिर्फ
ईंटों का कमरा बना था फिर प्लास्टर हुआ, टाइल लगी। फिर हम नीचे गद्दा या बिछौना
बिछा देते है।
बाजी को एकदम हर चीज इकसार चाहिए। जरा सी चादर सुकड़ी तो उसका दिमाग
खराब हो जाता है। वो रात में बालों का जूड़ा, चोटी खोलकर सोती है। मैं रात में उससे
अपनी स्कूल की बात करतीहूँ और वो फोन में अपनी सहेलियों से बतियाती-बतियाती
सो जाती है और हम भी।
-तमन्ना मलिक