आख़िर हमारी जगह है कहाँ?

आज वो दिन था, जब हमें तैयार होकर शादी में जाना था। उस दिन हम सब तीन बजे से ही तैयार होने लगे थे। 
मैंने भी नहाने के बाद कूलर के आगे अपने बाल सुखाए। उसके बाद मैंने अपनी मामी की बेटी को आवाज़ दी, 'कनक...' 
मेरी आवाज़ सुनकर कनक दूसरे कमरे से भागी आई। 
मैंने उससे कहा, 'पहले तेरे ही बाल बना देती हूँ।'
कनक के बाल मैंने पहले बनाए, उसके बाद अपने बालों को सँवारा। सभी अपने बालों को अलग-अलग डिजाइन में बना रहे थे। हम जब भी कहीं बाहर जाते हैं तो कनक हमारे पास ही तैयार होने आती है। क्योंकि हम चार बहने हैं और वो अकेली है। इसलिए उसे हमारे साथ ही अच्छा लगता है। 
हम सभी ने हल्का मेकअप किया। कनक तैयार होकर अपने घर चली गई। 
पापा आए तो हम सब घर में ताला लगाकर नीचे सड़क पर आ गए। जब हम शादी के टेंट मे पहुँचे, तब वहाँ बहुत सारे लोग इकट्ठे हो गए थे। खाने की खुशबू आ रही थी। वहाँ पर बहुत सारे अलग-अलग तरह के खाने लगे थे। जैसे:- गोलगप्पे, टिक्की, पापड़ी, चाओमीन, पावभाजी, दहीभल्ले। 
मेरे और मेरी बहन की नज़र वहाँ लगे खानों पर गई तो हमारा मन भी ये सब खाने को हो आया। हम सबसे पहले चाओमीन के स्टॉल पर गए। यहाँ ज्यादा भीड़ नहीं थी तो आराम से चाओमीन ली जा सकती थी। 
जब हम चाओमीन ले रहे थे तो अचानक से एक लड़का तेजी से मेरे पीछे से आया और चाओमीन वाले से देने के लिए कहने लगा। उसका हाथ मेरे कंधे से टकरा गया था। मैं एकदम से घबरा गई। मेरी बहन ने उससे बोला, 'भाई आगे तो देख लो कि कोई खड़ा है कि नहीं।'
वो लड़का पलटते हुए बोला, 'सॉरी बहन ग़लती से लग गया।' 
उसकी इस बात पर हम कुछ नहीं बोले। लेकिन मैं और बहन मम्मी को ढूँढने लगे। क्योंकि मम्मी आसपास होती है तो सेफ़्टी महसूस होती है। 
लड़के भले ही बहन बोल दे फिर भी घूरते ही रहते हैं। मम्मी जब पास आई, तब तक हम कई सारी चीज़ें खा चुके थे। हमने जब डीजे की आवाज़ सुनी तो बहन और मैं डीजे पर जाने को सोचने लगे। हमने मम्मी को देखा तो वो किसी से बात करती नज़र आईं। हमने मम्मी को कुछ कहे बिना ही डीजे पर पहुँच गए, वहाँ पर अभी कोई न था। 
पहले तो हम सब लड़कियाँ ही मिलकर डांस कर रही थी, लेकिन कुछ ही देर बाद वहाँ लड़के भी आने लगे। शायद बारात आ गई थी। तभी एक लड़का नाचता-नाचता वहाँ आ गया। उसका डांस भी अजीब ही था, और वह हमसे आकर टकरा भी गया। उसकी ये हरकत अनजाने में हुई थी या जानबूझकर, वो तो पता नहीं। लेकिन हम सब लड़कियाँ साइड में हो गई थी। यह देखकर आसपास के लड़के हँसने लगे। हमलोगों को यह बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा था। 
जैसे ही थोड़ी जगह ख़ाली हुई तो मैं, मेरी बहन और हमारे साथ की लड़कियाँ डांस करने लगीं। यही एक मौक़ा होता है जब डीजे वाले तेज आवाज़ में गाने चलाते हैं और सभी मस्ती में डांस करने लगते हैं। हम सबने उन लड़कों पर ध्यान ही नहीं दिया और मस्ती में झूमने लगीं। पता नहीं तभी मम्मी कहाँ से आ गईं? उन्होंने इशारे से मुझे बुलाया। मैं जाना तो नहीं चाहती थी। मैं जानती थी कि मम्मी क्या कहेंगी। लेकिन जाना पड़ा।   
मम्मी बोली, 'अब डांस मत कर।' 
मैंने चिढ़कर कहा, 'क्यों?'
मम्मी गुस्से मे बोली, 'क्योंकि वहाँ पर सारे लड़के आ गए हैं।' 
मैंने कहा, 'मम्मी मैं तो डांस करूँगी इन्हें साइड में हटाती हूँ।' मम्मी गुस्सा करने लगीं, लेकिन कुछ बोल नहीं पाईं। फिर हमने उन लड़कों से बोला, 'भाई थोड़ा साइड में जाकर नाचो, हमें भी जगह दो।' 
पहले तो वो सुन ही नहीं रहे थे। लेकिन हमारे बार-बार बोलने पर वो एक तरफ़ हो गए। हमने डांस तो किया पर ज़्यादा देर नहीं, क्योंकि उनका सिटी बजाना और अजीब-अजीब तरह की आवाज़ों में चिल्लाना मम्मी का गुस्सा बढ़ा रहा था। और हम सबको भी अजीब लग रहा था। इसलिए हम सब डीजे से हट गए।  
शादी बहुत अच्छी रही थी। घर आते समय मम्मी मौक़ा देखकर बोली, 'कुछ कहा करूँ तो सुन लिया करो। वहाँ लड़के नाच रहे थे तो तुम्हे जाने की क्या ज़रूरत थी।'
हम कुछ बोले नहीं पाए पापा पीछे चल रहे थे। पापा तुरंत कुछ नहीं बोलते, लेकिन उसका असर बाद में दिखता है।  
मैं सोचती रही कि सब लड़कियों को ही हटने को बोलते हैं, कोई लड़कों को क्यों नहीं बोलता? हमारी भी तो कोई जगह होनी चाहिए। आख़िर हमारी जगह कहाँ है?
मुझे याद है जब नानी ने अपने घर में कीर्तन करवाया था तो काफी लोग थे। बैठने की भी जगह नहीं थी। तब मैं और मेरी मामी की बेटी गली में खड़ी बाइक पर जा बैठे। गली में बहुत अच्छी हवा लग रही थी, गर्मी का मौसम था। 
तभी मम्मी हमे देखने बाहर आई और बोली, 'बाइक पर ज़रूरी है बैठना? यहाँ अंदर आ जा।'
मैंने कहा, 'मम्मी अंदर कमरे में बहुत गर्मी है। यहाँ अच्छा लग रहा है।'
मम्मी बोली, 'तुझे दिखता नहीं गली में लड़के खड़े हैं।'
मुझे बहुत गुस्सा आया। मम्मी हमेशा ही ऐसे करती है। कहीं लड़के खड़े हों या देखने लगे तो अंदर बुला लेती है। गली में और भी बाइक खड़ी थी, उनपर सब बैठे भी थे लेकिन हम नहीं बैठ सकते।
खीझ होती है, मन होता है कि पूछूँ कि हमारे लिए भी कोई जगह है या नहीं?
तानिया 
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